RUMORED BUZZ ON भाग्य VS कर्म

Rumored Buzz on भाग्य Vs कर्म

Rumored Buzz on भाग्य Vs कर्म

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जब तक इंसान को कामयाबी मिलती रहती है वो अपने कर्म के गीत गाता है, और असफलता मिलते ही ज्योतिषी के पास भागता है

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आचार्य जी– आप बहुत ही उत्सुक लगते हो, मैंने तो आपको कोई समय नहीं दिया, फिर भी आप सुबह-सुबह जल्दी चले आये।

कर्म भाग्य से बड़ा होता है’- मैं इसमें विश्वास करता हूं। क्योंकि कर्म करके आप अपनी भाग्य बदल सकते है, ये अाशा आप से कोई नहीं छीन सकता।

कर्म अलौकिक प्रतीत हो सकता है, लेकिन यह एक सरल नियम का काम है। हम जो भी देते हैं, वही हमें प्राप्त होता है।

उपरोक्त उदाहरणों की रोशनी में यदि श्रीमद्भगवद्गीता के मशहूर श्लोक -कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोअस्त्वकर्मणि (तुम्हें कर्म (कर्तव्य) का अधिकार है, किन्तु कर्म-फल पर तुम्हारा अधिकारी नहीं है। तुम न तो कभी स्वयं को अपने कर्मों के फलों का कारण मानो और न ही कर्म करने या get more info न करने में कभी आसक्त होओ) को देखा जाए तो तस्वीर बहुत कुछ साफ हो जाती है। इस श्लोक को लेकर लोग अक्सर सवाल उठाते हैं कि यदि कर्म-फल पर मनुष्य का अधिकार नहीं होगा तो वह कर्म करेगा ही क्यों?

ध्यान भी एक कर्म है, कुछ देखना, सुनना, बोलना, सोचना, ये सब क्रियाएं कर्म ही तो हैं। हम क्या देखते हैं और फिर वह देख के क्या सोचते हैं, यह कर्म ही तो हैं।

बच्चों को पता नहीं था कि उधर से कोई गुजर रहा है और न ही राहगीर को पता था कि बच्चे आम तोडनÞे के लिए पत्थर फेंक रहे हैं। ऐसे में एक पत्थर आकर उसके सिर में लगा। अब जिस बच्चे के पत्थर से राहगीर घायल हुआ, उसने पत्थर आम तोडनÞे के लिए फेंका (कर्म) था न कि चोट पहुंचाने के लिए। अर्थात जिस उद्देश्य के लिए कर्म किया गया वह तो पूरा हुआ नहीं उल्टे एक व्यक्ति घायल हो गया। यहां कर्म और भाग्य दोनों को देखा जा सकता है। बच्चे का कर्म राहगीर का दुर्भाग्य बन गया।

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खुद को भाग्य के भरोसे वही छोड़ता है जो कर्म नहीं करना चाहता। कर्म करने से ही भाग्‍य बनता है। जिसको कर्म में जितना विश्‍वास है वह व्‍यक्ति उतना ही सक्सेस होगा। हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने से न ही भाग्‍य साथ देता है और न कर्म ही होता है।

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भाग्य कुछ नहीं होता बस भविष्य होता है कर्म सोच और मेहनत का परिणाम है. अगर आप सही कर्म के सारे दाव पेंच अच्छे से निभा रहे है.

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